إبلاغ عن خطأ
ملحوظات عن القصيدة:
بريدك الإلكتروني - غير إلزامي - حتى نتمكن من الرد عليك
انتظر إرسال البلاغ...
|
أتريدُ قلبَ الشعرِ |
أن يتجددا؟ |
أتريدهُ وهجاً |
مثيراً |
جامحاً |
متوددا؟ |
أتريدُهُ سطراً |
يُثيرُ |
عوالماً |
فيشبُّ |
في نيران عشقِكَ |
سيِّدا؟ |
ستراهُ |
في بركاتِ آل محمَّدٍ |
صنفاً |
جديداً |
جيِّدا |
ستراهُ |
عند البضعةِ الزهراء ِ |
حتماً |
قد تفتَّحَ |
للخلائق ِ فرقدا |
منْ نبع ِ فاطمةٍ |
تجيءُ كواكبٌ |
عيداً |
مِنَ الصلواتِ |
أحلى ما يكونُ |
وأسعدا |
وهو الذي |
نشرَ المشارقَ |
في يديهِ |
محمَّدا |
وهو الذي |
بضياء ِ فاطمةٍ |
مضى |
نجماً |
وقافية ً |
وبسمة َ زهرة ٍ |
فأقامَ |
أحرفَهُ |
الزواهرَ |
مسجدا |
يا عيدُ أقبلْ |
فالمجرَّة ُ فاطمٌ |
ومدارُها |
بدم ِالصلاةِ |
توقَّدا |
أقمارُها الأطهارُ |
روح ُ الدين ِ |
والدنيا |
وبسملة ُ الهدى |
راياتُ دين ِ اللهِ |
تخفقُ |
دائماً |
في عشق ِ |
فاطمةٍ |
فتمتلكُ المدى |
بين النَّيازكِ |
قد ذكرنا إسمها |
فأذاعنا |
عطراً |
ومعراجاً |
لأجمل ِ مبتدا |
كلُّ النجوم ِ |
إذا |
قلبناها |
رأيناها |
على أصداء ِ فاطمةٍ |
ندى |
وهجُ السَّماء ِ |
طريقُها |
ودعاؤها |
قد طافَ سبعاً |
واستنارَ جمالُهُ |
وأعادَ للأمس ِ |
المكبَّل ِ |
في الظلام ِ |
لهُ غدا |
يا زهرة َ المحرابِ |
يا مدَّ الحنان ِ |
وكلَّ أبواب ِ الهدى |
شهبُ العبادةِ |
في دعائكِ |
في ركوعكِ |
في سجودكِ |
لنْ يقيِّدَها |
مدى |
هذي السَّماءُ |
وأرضُها |
في نورِ |
ميلادِ الجمال ِ |
توحَّدا |
ميلادُكِ الميمون ُ |
يمنحُ |
دائماً |
مِن جودِ طهرِكِ |
للخلائق ِ |
مولدا |
كلُّ الوجودِ |
لحكيكِ الأبديِّ |
ظلُّ هو الصَّدى |
قد ظلَّ حبُّكِ |
يا حبيبة َ أحمدٍ |
في خيرِ ساحاتِ الغرام ِ |
الفارسَ المتسيِّدا |
حقٌ |
لكلِّ قصيدةٍ |
حُرِقتْ |
بحبِّكِ |
أن تعيشَ |
وتُفتَدَى |
ماذا تبقَّى |
للكواكبِ |
مِنْ علوِّ |
إن يكنْ |
أصلُ العلوِّ |
وفرعُهُ |
في عشق ِ فاطمةٍ |
صدى |